Wednesday, October 16, 2013

पिता (Pita)



पिता जीवन हैं सम्भल हैं शक्ति हैं

पिता सृष्टी के निर्माण की अभिव्यक्ति है

पिता अंगुली पकडे बच्चे का सहारा है

पिता कभी कुछ खट्टा कभी खरा है 

पिता पालन है पोषण है परिवार का अनुशाशन है

पिता धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है

पिता रोटी है कपडा है मकान है

पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमां है 

पिता अप्रतर्षित अनंत प्यार है

पिता है तो बच्चो को इंतज़ार हैं

पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने है

पिता हैं तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं 

पिता से परिवार में प्रतिपल राग हैं

पिता से ही माँ की बिंदी और सुहाग है

पिता परमात्मा की जगत के प्रति आशक्ति हैं

पिटा गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति हैं 


पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ती हैं

पिता रक्त में दिए हुए संस्कारो की मूर्ती हैं

पिता एक जीवन को एक जीवन का दान है

पिता दुनिया दिखाने का एहसान है 

पिता सुरक्षा है अगर सर पर हाथ है

पिता नहीं तो बचपन अनाथ है

तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो

पिता का अपमान नहीं तुम उनपर अभिमान करो 

सो की माँ बापों की कमी को कोई पाटी नहीं सकता

और इश्वर भी इनके आशीषों को काट नहीं सकता

विश्व में किसी देवता का स्थान दूजा है,

माँ बाप की सेवा ही पूजा है

विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्रायें व्यर्थ हैं

यदि बेटे के होते माँ बाप असमर्थ हैं

वो खुश्नाशीब है जिनके माँ बाप उनके साथ होते हैं

क्यूंकि माँ बाप के आशीषों के हजारों हाथ होते हैं 

                                                          - ओम व्यास

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