Tuesday, October 1, 2013

tirangaa तिरंगा - आशीष अनल


कितना तिरंगे को झुकाया जा चुका

अजदी की कितनी सजा वो पा चुक

कैसी संविधान की ये मजबूरी

शोक में तिरंगा झुकाना जरूरी है

खोखली प्रथा पे ऐलान किया जाये

मंत्री का भी बाप मरे मरने दिया जाये

कहते हुए अनल रुके का नहीं

आज से तिरंगा झुकेगा नहीं

ये तिरंगा तो हमारी आनबान हैं

ये हमारी आजादी की पहचान है

ये हमारे शौर्य के दिए की बाती है

कर तू किस सोंच में पड़ा

व्यक्ति नहीं होता किसी राष्ट्र से बड़ा

ऐसे तिरंगे का क़र्ज़ चुकेगा नहीं

बोलो ये तिरंगा अब झुकेगा नहीं

डोरियाँ पकड़ तेरी हुए जो खड़े

क्या हो गए आज वो देश से बड़े

देश है स्वतंत्र ,चेतना स्वतंत्र है

फिर क्यूँ मेरा तिरंगा मेरा परतंत्र हैं

ये तिरंगा द्रौपदी की चीर नहीं है

ये किसी के बाप की जागीर नहीं है

कोठियों में पाप लिए रुकेगा नहीं 

बोलो ये तिरंगा अब झुकेगा नहीं

मेरा ये तिरंगा अब झुकेगा नहीं

केसरिया माता का श्रंगार दान है
स्वेत रंग प्यार शांति की जुबान है
चक्र शौर्य शक्ति का खुला बयां है
ये झुका तो राष्ट्र का ही अपमान है
गद्दारों की मौत पर ये थूकेगा नहीं
मेरा ये तिरंगा झुकेगा नहीं
विश्वविजयी तिरंगा झुकेगा नहीं
मेरा ये तिरंगा अब झुकेगा नहीं
                             - आशीष अनल 

2 comments:

  1. In this poem few lines are missing, please update...one is hara rang hara Bharat Hindustan hai

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