Friday, April 30, 2010

पगली लड़की ..





मवास की काली रातों में दिल का दरवाजा खुलता है
जब दर्द की प्याली रातों में गम आंसू के संग होता हैं
जब पिछवाड़े के कमरे में हम निपट अकेले होते हैं
जब घड़ियाँ टिक टिक चलती हैं,सब सोते हैं हम रोते हैं
जब बार बार दोहराने से सारी यादें चुभ जाती हैं
जब उंच नीच समझने में माथे की नस दुःख जाती हैं
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लघता है
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भरी लगता है

जब पोथे खली होते हैं, जब हर सवाली होते हैं
जब गज़ले रास नहीं आती,अफसाने गाली होते हैं
जब बासी फीकी धुप समेंटने, दिन जल्दी ढल जाता है
जब सूरज का लश्कर छत से गलियों में देर से जाता हैं
जब लड़की घर जाने की इच्छा मन ही मन घुट जाती है
जब कॉलेज से घर लाने वाली पहली बस छुट जाती हैं
जब बेमन से खाना खाने पर माँ गुस्सा हो जाती हैं
जब लाख मन करने पर भी पारो पड़ने आ जाती है
जब अपना हर मनचाहा काम कोई लाचारी लगता है
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता हैं
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भरी लगता हैं

जब कमरे में सन्नाटे की अवाज सुने देतो हैं
जब दर्पण में आँखों के नीचे छाई दिखती देती हैं
जब बडकी भाभी कहती हैं ,कुछ सेहत का भी ध्यान करो
क्या लिखते हो दिनभर ,कुछ सपनो का सम्मान करो
जब बाबा वाली बैठक में कुछ रिश्ते वाले आते हैं
जब बाबा हमें बुलाते हैं ,हम जाते हैं घाबरते हैं
जब साड़ी पहने लड़की का एक फोटो लाया जाया हैं
जब भाभी हमें मानती हैं ,फोटो दिखलाया जाता
जब सरे घर का समझाना हमको फनकारी लगता हैं
तब एक पगली के बिन जीना गद्दारी लगता हैं
और उस पगली लड़की के बिन जीना मरना भी भरी लगता हैं

दीदी कहती हैं उस पगली लड़की की कोई औकात नहीं
उसके दिल में भैया तेरे अजैसे जज़्बात नहीं
वो पगली लड़की नौ दिन मेरे लिए भूखी रहती हैं
छुप छुप सारे व्रत करती हैं, पर मुझसे कभी ना कहती
जो पगली कहती है, मैं प्यार तुम्ही से कहती हूं
लेकिन मैं हूँ मजबूर बहतु, लेकिन अम्मा बाबा से डरती हूँ
उस पगली लड़की पर अपना कुछ अधिकार नहीं बाबा
ये कथा कहानी किस्से हैं, कुछ भी तो सार नहीं बाबा
बस उस पगली लड़की के संग जीना फुलवारी लगता हैं
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भरी लगता हैं
                                                                
                                                                                                                                  -कुमार विश्वास                                                                         

                                                                                          

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