Saturday, September 28, 2013

मै कवि हूँ जब तक पीडा है



सम्बन्धों को अनुबन्धों को परिभाषाएँ देनी होंगी
होठों के संग नयनों को कुछ भाषाएँ देनी होंगी
हर विवश आँख के आँसू को
यूँ ही हँस हँस पीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीडा है
तब तक मुझको जीना होगा

मनमोहन के आकर्षण मे भूली भटकी राधाऒं की
हर अभिशापित वैदेही को पथ मे मिलती बाधाऒं की
दे प्राण देह का मोह छुडाने वाली हाडा रानी की
मीराऒं की आँखों से झरते गंगाजल से पानी की

मुझको ही कथा सँजोनी है,
मुझको ही व्यथा पिरोनी है
स्मृतियाँ घाव भले ही दें
मुझको उनको सीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीडा है
तब तक मुझको जीना होगा

मनमोहन के आकर्षण मे भूली भटकी राधाऒं की
हर अभिशापित वैदेही को पथ मे मिलती बाधाऒं की
दे प्राण देह का मोह छुडाने वाली हाडा रानी की
मीराऒं की आँखों से झरते गंगाजल से पानी की

मुझको ही कथा सँजोनी है,
मुझको ही व्यथा पिरोनी है
स्मृतियाँ घाव भले ही दें
मुझको उनको सीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीडा है
तब तक मुझको जीना होगा

कलरव ने सूनापन सौंपा मुझको अभाव से भाव मिले
पीडाऒं से मुस्कान मिली हँसते फूलों से घाव मिले
सरिताऒं की मन्थर गति मे मैने आशा का गीत सुना
शैलों पर झरते मेघों में मैने जीवन-संगीत सुना

पीडा की इस मधुशाला में
आँसू की खारी हाला में
तन-मन जो आज डुबो देगा
वह ही युग का मीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीडा है
तब तक मुझको जीना होगा
 
                      -कुमार विश्वास 

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