Wednesday, October 9, 2013

आतंकी कैसे घुस आये लाहोरी दरबारों से


आतंकी कैसे घुस आये लाहोरी दरबारों से
लगता हैं कुछ चूक हुई हैं अपने पहरेदारो से
वर्ना खून नहीं बहता यूँ भारत माँ के लालों का
गर पहले उत्तर दे देते इन सारे भूचालों का
हम मौन रहे ,खामोश रहे कांटो की फ़ौज लगा बैठे
इस भाई चारे के भ्रम में आधा कश्मीर जला बैठे
गर हम ही इनकी लाशो को कंधो पर सदा नहीं ढ़ोते
ये लश्कर फश्कर हुजी सब दुनिया में कही नहीं होते
तो मत कहो पडोसी मुल्को से आतंक की आंधी बंद करो
तुम अपने मिमयती स्वर को शेरों की तरह बुलंद करो
ये हमले पल भर में रुक सकते थे
आगे बढ़ कर तुम हुंकार भरो
इन आतंकी हमलो पर बस बम बम की बरसात करो
हमने वर्दी की पैरो में सख्त बेड़ियाँ डाली हैं
और दिल्ली ने खुली छूट दे डाली है
तब मानव अधिकार कातिलो के हित में बन जाते हैं
इसी लिए तो रोज भेड़िये छाती पर तन जाते है
जिस दिन गोली का उत्तर का हम गोली से दे पाएंगे
उस दिन आतंकी क्या इनके बाप भी ठीक हो जायेंगे
हमने आतंकी पाले , जेलों में पर्सी बिरयानी
हर सैनिक की विधवा रोई आँखों में आया पानी
२० खून कर कर भी वो क्षमादान पा जाते हैं
और शहीदों की क़ुरबानी पर मातम सा छा जाते हैं
उठो नया कानून मांग लो संसद की दीवारों से
हत्यारों को क्षमादान अब नहीं मिलेगा दरवारों से
इन अब सीधे फ़ासी पर टाँगे वीर शहीदों की मायें
या सीने पर गोली मारें बस सैनिक की विधवायें
जिस दिन ये क़ानून बनेगा उस दिन आग बुझेगी ये
वरना सीने में ज्वालाएँ कहीं और जलेंगी ये
                                -विनीत चौहान

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