Wednesday, October 16, 2013

चलते फिरते



चलते फिरते हुए महताब दिखायेंगे तुम्हें

हमसे मिलना कभी पंजाब दिखायेंगे तुम्हें

चाँद हर छत पे है ,सुरज है हर एक आंगन में

नींद से ज़ागो तो कुछ ख़्वाब दिखायेंगे तुम्हें

पूछते क्या हो रुमाल के पीछे क्या है

फिर किसी ऱोज ये शैलाब दिखायेंगे तुम्हें 

                     - राहत इन्दोरी

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