Tuesday, October 15, 2013

भारती का हाल देख हो गए सजल नेत्र



भारती का हाल देख हो गए सजल नेत्र
मेरा मन द्वार आज जार जार रो रहा
घुंघुरू व पायल का हाल क्या सुनाए
आँचल का हर भाग तार तार हो रहा 
तो अंग अंग से रक्त बह रहा भारती के
हर घाव घटी वाला देवदार हो रहा
ऐसे में ही एक बार चले आओ तुम सुभाष
देश को तुम्हारा इंतज़ार हो रहा
                                                  - विनीत चौहान

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