गोलियों को झेलते थे वीर
सैनिकों के वक्ष
कारगिल घटी मौत वाली घटी
हो गयी
रण बाकुरो का रक्त जहाँ
जहाँ गिर गया
चन्दन से ज्यादा वो पवित्र
माटी हो गयी
तो गर्व से उठा लिया था
भारती ने दिव्य भाल
धन्य बलिदान वाली परिपाटी
हो गयी
देख कर वीर सैनिकों का ऐसा
बलिदान
एक बार दंग मेरी हल्दी घटी
हो गयी
- विनीत चौहान
सियासत ने चुले हिला दी हमारे सभ्य समाज की ? मीडिया नारद बन बैठा अब हाथ उठे भी तो किस ओर सब जगह ठगा गया मानव हम असभ्य से सभ्य हो गये अब दर्द कचौटेगा ता उम्र?
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