तूफानी लहरें हों
अम्बर के पहरे हों,
पुरुवा के दामन पर दाग बहुत गहरे हों,
सागर के मांझी, मत मन को तू हारना,
जीवन के क्रम मैं जो खोया है पाना है.
पतझर का मतलब है
फिर बसंत आना है.
राजवंश रूठे तो
राज मुकुट टूटे तो
सीतापति राघव से राजमहल छूटे तो
आशा मत हार,
पर सागर के एक बार,
पत्थर मैं प्राण फूंक सेतु फिर बनाना है
अंधियारे के आगे, दीप फिर जलाना है
पतझर का मतलब है
फिर बसंत आना है.
घर-भर चाहे छोडे,
सूरज भी मुंह मोड़े
विदुर रहे मौन, छीने राज्य, स्वर्ण रथ, घोड़े
माँ का बस प्यार, सार गीता का साथ रहे,
पंचतत्व सौ पर हैं भारी बतलाना है
जीवन का राजसूय यज्ञ फिर कराना है
पतझर का मतलब है
फिर बसंत आना है
- कुमार विश्वास