Thursday, September 26, 2013

कुमार विश्वास - २


मेरे जीने में मरने में तुम्हारे नाम आयेगा
मैं सांसे रोक लू फिर भी यही इलज़ाम आयेगा
हर एक धड़कन में तुम हो तो फिर अधिकार क्या मेरा
अगर राधा पुकारेगी तो फिर घनश्याम आयेगा

बदलने को इन आंखों के मंज़र कम नहीं बदले
तुम्हारी याद के मौसम हमरे गम नही बदले
तुम अगले जन्म में हमसे मिलोगी , तब ये जानोगी
जमाने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले

मोहब्बत एक एहसासों की पावन शी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवाना हैं
यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आँखों में आसूं हैं
जो तू समझे तो मोती हैं जो न समझे तो पानी हैं

गिरेबा चाक करना क्या, सीना और मुश्किल हैं
हर इक पल मुशकुराकर, अश्क पीना और मुश्किल है
किसी की बेवफाई ने हमें इतना सिखाया हैं
किसी के इश्क में मरने से पीना और मुश्किल है

पनाहों में जो आया हो तो उस पर अधिकार क्या मेरा
जो दिल हार हो उस पे फिर अधिकार क्या मेरा
मोहब्बत का मज़ा तो डूबने की कसमकस में हैं
जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे हर किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा

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