जीवन मे जब तुम थे नही
पल भर नही उल्लास था
पल भर नही उल्लास था
खुद से बहुत मै दूर था,
बेशक जमाना पास था.
होठो पे मरूथल और दिल मे एक मीठी झील थी
आन्खो मे आन्सू से सजी, इक दर्द की कन्दील थी,
लेकिन मिलोगी तुम मुझे
मुझको अटल बिश्व्वास था
खुद से बहुत मे दूर था, बेशक जमाना पास था.
तुम मिले जैसे कुंवारी कामना को वर मिला
चान्द की आवारगी को पूनमी - अम्बर मिला.
तन की तपन मे जल गया
जो दर्द का इतिहास था.
खुद से बहुत मे दूर था, बेशक जमाना पास था.
-कुमार विश्वास
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