पनाहों में जो आया हो तो उस पर अधिकार क्या
मेरा
जो दिल हार हो उस पे फिर अधिकार क्या मेरा
मोहब्बत का मज़ा तो डूबने की कसमकस में हैं
जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना
हमारे शेर सुन कर भी जो खामोश इतना हैं
खुदा जाने गुरुरे –ए- हुस्न में मदहोश कितना हैं
खुदा जाने गुरुरे –ए- हुस्न में मदहोश कितना हैं
किसी प्याले से पुछा हैं सुराही से सबब मैं का
जो खुद बेहोश क्या बताये होस कितना है
बस्ती बस्ती घोर उदासी,पर्वत पर्वत खालीपन
मन हीरा के मोल लुट गया घिस घिसरी का तन चन्दन
मन हीरा के मोल लुट गया घिस घिसरी का तन चन्दन
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गजब की है
एक तो तेरा भोलापन एक तेरा दीवानापन
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल ऐसा इकतारा है
जो हमको भी प्यारा है ,जो तुमको भी प्यारा है
जो हमको भी प्यारा है ,जो तुमको भी प्यारा है
झूम रही है सारी दुनिया जब के हमारे गीतों पर
तब कहती हो प्यार हुआ है क्या एहसान तुम्हारा हैं
महफ़िल महफ़िल मुस्काना पड़ता है
खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता हैं
उनकी आँखों से होकर दिल तक जाना
रस्ते में ये मैखाना तो पडता हैं
तुमको पाने की चाहत में ख़तम हुए
इश्क में इतना जुरमाना तो पड़ता हैं
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