Sunday, September 29, 2013

tiranga (तिरंगा) - कुमार विश्वास


शौरहत न अता करना मौला

दौलत न अता करना मौला

बस इतना अता करना चाहे

जन्नत न अता करना मौला

शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब

कुर्बान पतंगा हो

होंठो पर गंगा हो हाथों में तिरंगा हो

बस एक सदा ही सुने सदा

बर्फीली मस्त हवाओं में

बस एक दुआ ही उठे सदा

जलते तपते सहराओं में

जीते जी इसका मान रखें

मरकर मर्यादा याद रहें

हम रहे कभी रहे मगर

इसकी सजधज आबाद रहे

गोधरा न हो गुजरात न हो

इंसान न नंगा हो

होंठो पर गंगा हो हाथों में तिरंगा हो

शौरहत न अता..

गीता का ज्ञान सुने न सुने

इस धरती का यशगान सुने

हम सबध कीर्तन सुन न सके

भारत माँ का जयगान सुने

परवरदिगार मैं तेरे द्वार

पर ले पुकार, ये कहता हूँ

चाहे अजान न सुने कान

पर जय जय हिन्दूस्तान सुने

जन मन में , जन मन में

इस मन में , उस मन में

उच्छल देश प्रेम का जलध तिरंगा हो

होंठो पर गंगा हो ...

 - कुमार विश्वास

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