Saturday, September 28, 2013

कुमार विश्वास - ६


"उड़ान वालों उड़ानों पे वक़्त भारी है,
अब परों की नहीं हौसलों की बारी है ,
मैं क़तरा होके भी तूफां से जंग लेता हूँ ,
मुझे बचाना समंदर की जिम्मेदारी है....!"

"अपनी साँसों से बिछड़ सकता हूँ जानां लेकिन,
गैर मुमकिन है कि अब तुझसे जुदा हो जाऊं,
तू फरिश्तों की तरह हाथ उठाये रहना ,
मै तेरे इश्क में शायद कि खुदा हो जाऊं !!!

बड़ी आसानी से कह देता है अनकहनी भी
मग़र एक "हाँ" है जो कहने पे तौलता है बहुत ,
मैं बोलता हूँ तो सुनता ही नहीं बात मेरी
मैं चुप रहूँ तो वो मुझ में ही बोलता है बहुत ......"

लाख अंकुश सहे इस मृदुल गात पर
बंदिशें बन निभी मेरे जज्बात पर
आपने पर मुझे बेबफा जब कहा
आँख नम हो गयी आपकी बात पर

"दर्द का साज़ दे रहा हूँ तुम्हे,
दिल के सब राज़ दे रहा हूँ तुम्हे,
ये ग़ज़ल-गीत सब बहाने हैं,
मैं तो आवाज़ दे रहा हूँ तुम्हे ....

                                             -कुमार विश्वास 

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