चाँद ने कहा है, एक बार फिर चकोर से,
इस जनम में भी जलेगे तुम ही मेरी और से
हर जनम का अपना चाँद है, चकोर है अलग,
यूँ जनम जनम का एक ही मछेरा है मगर,
हर जनम की मछलियाँ अलग हैं डोर है अलग,
डोर ने कहा है मछलियों की पोर-पोर से
इस जनम में भी बिंधोगी तुम ही मेरी ओर से
इस जनम में भी जलोगी तुम ही मेरी ओर से
यूँ अनंत सर्ग और ये कथा अनंत है
पंक से जनम लिया है पर कमल पवित्र है
यूँ जनम जनम का एक ही वो चित्रकार है
हर जनम की तूलिका अलग, अलग ही चित्र है
ये कहा है तूलिका ने, चित्र के चरित्र से
इस जनम में भी सजोगे तुम ही मेरी कोर से
चाँद ने कहा है एक बार फिर चकोर से
इस जनम में भी जलोगी तुम ही मेरी ओर से
हर जनम के फूल हैं अलग, हैं तितलियाँ अलग
हर जनम की शोखियाँ अलग, हैं सुर्खियाँ अलग
ध्वँस और सृजन का एक राग है अमर, मगर
हर जनम का आशियाँ अलग, है बिजलियाँ अलग
नीड़ से कहा है बिजलियों ने जोर शोर से
इस जनम में भी जलोगी तुम ही मेरी ओर से
इस जनम में भी मिटोगे तुम ही मेरी ओर से
चाँद ने कहा है एक बार फिर चकोर से
-कुमार विश्वास
No comments:
Post a Comment